झाबुआ विधानसभा उपचुनाव : चौराहों की चर्चा में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया की ऐतिहासिक जीत










झाबुआ विधानसभा उपचुनाव : चौराहों की चर्चा में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया की ऐतिहासिक जीत

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  • - भाजपा नहीं जीत सकी मतदाताओं का दिल

  • - लगभग 62 प्रतिशत मतदाताओं ने डाले वोट



24 अक्टूबर को ईवीएम उगलेगी परिणाम

झाबुआ। पिछले तीन माह से झाबुआ विधानसभा उप चुनाव को लेकर चल रहे परिदृष्य का पटाक्षेप सोमवार को 356 पोलिंग बूथ पर मतदान संपन्न होने के साथ ही हो गया। मतदाताओं का फैसला ईवीएम में बंद हो चुका है। परिणाम 24 अक्टूबर को आएगा। 

 

सोमवार को सुबह 7 बजे से सभी मतदान केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतदान केंद्रों पर मोक पोलिंग की औपचारिकता के साथ ही मतदान प्रारंभ हुआ। प्रातः 7 बजे से 9 बजे तक मतदान केंद्रों पर अवश्य ही कतारें दिखाई दीं, किंतु 10 बजे के बाद से करीब-करीब सभी मतदान केंद्रों पर इक्का-दुक्का मतदाता ही मतदान करने जाते देखे गए। अमूमन यही हाल ग्रामीण अंचलों में भी दिखाई दिया।

 

प्रजातंत्र टीम ने दोपहर 11 बजे के बाद से जब ग्रामीण अंचलों का भ्रमण किया तो मतदान केंद्रों पर पूर्व में संपन्न हुए चुनावों की तरह लंबी कतारें नहीं दिखाई दीं। ग्रामीण अंचलों में मतदान दिन भर काफी धीमी गति से चलता रहा। मतदान दल भी मतदान केंद्रों पर सुस्ताते हुए देखे गए। निर्वाचन आयोग द्वारा गुजरात सहित राज्य के बाहर मजदूरी के लिए गए श्रमिकों को लाने के लिए किए गए प्रयास नाकाफी साबित हुए और गत चुनावों की तरह इस बार पलायन पर मजदूरी के लिए गए श्रमिकों ने मतदान में भाग नहीं लिया। अपेक्षा से कम लोग ही बाहर से यहां मतदान के लिए आए, जिससे मतदान के प्रतिशत पर नकारात्मक प्रभाव भी देखा गया।

पांच में से तीन निर्दलीय प्रत्याशी रहे दौड़ में 


इस उपचुनाव में पांच प्रत्याशी मैदान में थे, जिसमें मुख्य रूप से मुकाबला कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया और भाजपा के भानू भूरिया के बीच ही दिखाई दिया। वहीं, भाजपा के बागी कल्याणसिंह डामोर, निवासी तलावली, निर्दलीय नीलेश डामोर निवासी करड़ावद बड़ी, निर्दलीय रामेश्वर ग्राम रामा भी मैदान में उतरे, किंतु वे इस चुनाव में कहीं दौड़ में नजर नहीं आए, हां उन्होंने वोट काटने का काम जरूर किया, निर्दलियों ने किसे नुकसान पहुंचाया, यह परिणाम आने के बाद स्पष्ट रूप से सामने आ जाएगा।

कांतिलाल ने किए माता के दर्शन


कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ने सहपरिवार पहुंचकर सुबह कालिका माता के दर्शन किए, बाद में मतदान केंद्र क्र. 93 (गोपाल कॉलोनी) पर जाकर मतदान किया। उनके साथ उनकी पत्नी श्रीमती कल्पना भूरिया, पुत्र डॉ. विक्रांत भूरिया, पुत्रवधु डॉ. शीना भूरिया ने भी वोट डाला। वहीं, भाजपा प्रत्याशी भानू भूरिया ने अपने गृह ग्राम दोंतड़ विकास खंड रानापुर में सुबह 7.30 बजे अपना वोट डाला। इसी तरह निर्दलीय कल्याणसिंह डामोर ने अपने गृह ग्राम तलावली में सुबह 8 बजे मतदान किया। 

जिले भर में रहा नेताओं का भारी जमावड़ा


इस उपचुनाव में जितनी राजनैतिक सरगर्मियां दिखाई दीं, उतनी पूर्व के चुनावों में कभी नहीं दिखाई दीं। चुनाव प्रचार के दौरान दोनों ही प्रमुख दलों कांग्रेस एवं भाजपा के शीर्ष नेताओं, पदाधिकारियों का भारी जमावड़ा रहा। कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया के पक्ष में प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ ने 5 बार इस अंचल का दौरा किया। वहीं, करीब-करीब मंत्रिमंडल के एक दर्जन मंत्रियों के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, राष्ट्रीय नेता विवेक तनखा, मुख्य प्रवक्ता शोभा ओझा के अलावा कम्प्यूटर बाबा ने भी आकर कांतिलाल भूरिया के पक्ष में वातावरण को बनाने के लिए अथक परिश्रम किया। 

 

मंत्रियों ने तो ग्रामीण अंचलों में ही अपना मुकाम बना लिया था तथा तमाम चुनावी हथकंडों से मतदाताओं का माइंड वॉश करने का काम किया। वहीं, भाजपा की ओर से भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते, प्रभात झा, विनय सहस्त्रबुद्धे, प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व मंत्रियों सत्यनारायण जटिया, नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव के अलावा प्रदेश संगठन के नेताओं सहित कई विधायकों एवं सांसदों ने यहां डेरा डालकर भाजपा के पक्ष में वातावरण बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। कांग्रेस ने जहां  शिवराज के 15 साल के शासन को कुशासन बताते हुए माहौल बनाने का काम किया तो भाजपा ने 10 माह की कमलनाथ सरकार द्वारा किसानों, महिलाओं, युवाओं के साथ किए गए छल को मुद्दा बनाकर तथा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के मुद्दे पर भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांगे।

मतदान रहा धीमा


इस उपचुनाव में 21 अक्तूबर को हुए मतदान के दौरान लोगों में पहले की तरह मतदान को लेकर उत्साह दिखाई नहीं दिया। सुबह मतदान जरूर तेजी से हुआ, किंतु दोपहर बाद मतदान की गति धीमी ही रही। मतदान की धीमी गति का अंदाजा इसी बात से लगता है कि सुबह 7 से 11 बजे तक सिर्फ 27.76 प्रतिशत मतदाताओं ने ही वोट डाले। इसमें दिव्यांगजन एवं 80 वर्ष से अधिक आयु के मतदाताओं की संख्या 5850 रही। सुबह 7 से दोपहर 1 बजे तक कुल 47.60 प्रतिशत मतदान हुआ था। दोपहर 3 बजे तक मतदान का प्रतिशत 56.62 प्रतिशत हो गया। इस अवधि तक 1 लॉख 57 हजार 165 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। वहीं शाम को मतदान का समय समाप्त होने तक कुल 2 लाख 77 हजार 599 मतदाताओं में से लगभग 62 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग कर लिया था। हालांकि अंतिम और अधिकृत आंकड़े समाचार लिखे जाने तक आना शेष थे। इस तरह विधानसभा के इस चुनाव में भी पलायन के बावजूद 60 प्रतिशत से अधिक मतदान होना झाबुआ विधानसभा के लिए एक सकारात्मक पहलू ही माना जाएगा। जिला प्रशासन एवं निर्वाचन आयोग ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए व्यापक प्रबंध किए थे। छिटपुट घटनाओं को छोड़कर पूरे विधानसभा क्षेत्र में मतदान शांतिपूर्वक ही संपन्न हुआ। 

सट्टा बाजार भी बता रहा कांतिलाल भूरिया की जीत


इस विधानसभा चुनाव को लेकर भी दिनभर कयासों का बाजार गर्म रहा। सट्टा बाजार में तो कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया की 25 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीत बताई जा रही है। कांतिलाल भूरिया का भाव 25 पैसे तथा भाजपा के भानु भूरिया का भाव 4 रुपए बताया गया। निर्दलीय तो सट्टा बाजार में काफी दूर दिखाई दिए। इस तरह हमेशा की तरह सट्टा बाजार ने भी पूर्वानुमान को बल दिया है कि इस बार उपचुनाव में भाजपा की हालत पूरी तरह पतली है। वहीं, कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया की जीत सट्टा बाजार निश्चित मान रहा है। सट्टा बाजार के मुताबिक यहां कांग्रेस की कमल नाथ सरकार का जादू बरकरार रहने वाला है। 

कई स्थानों पर काम करते दिखे मजदूर


निर्वाचन आयोग ने वैसे तो उपचुनाव के लिए अवकाश घोषित किया था, किंतु 'प्रजातंत्र' टीम को भ्रमण के दौरान सड़क किनारे गैंती, फावड़ा और तगारी लिए हुए कई स्थानों पर मजदूर काम करते हुए दिखाई दिए, जो निश्चित ही प्रशासन एवं निर्वाचन आयोग की अनदेखी को साबित करता है और निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देशों को प्रशासनिक अधिकारी किस तरह धत्ता बता रहे हैं, यह इससे साबित हो चुका है।