महिला ने ओहदेदार अफसरों से जीती कानून की लड़ाई


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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567


नागदा की एक महिला अभिकर्ता को भारतीय डाक विभाग से कानून की लड़ाई में न्यायालय से इंसाफ मिला । प्रथम श्रेणी न्यायालय, नागदा ने महिला के पक्ष में आदेश पारित कर मांगी गई सहायता प्रदान करने का निर्णय दिया। प्रकरण में चीफ पोस्ट मास्टर भारतीय पोस्ट विभाग भोपाल, प्रवर अघीक्षक उज्जैन एवं प्रधान डाकपाल देवास गेट उज्जैन के खिलाफ वाद प्रस्तुत किया गया था। यह विवाद बचत अभिकर्ता प्रेमलता भट्ट को डाक विभाग द्धारा फार्म 16 ए उपलब्ध नहीं कराने पर खड़ा हुआ। प्रेमलता ने रविवार को निर्णय की प्रति मीडिया को जारी की।


*क्या था मामला*


न्यायालय में प्रस्तुत वाद के मुताबिक प्रेमलता भट्ट पति स्व. दिलीप भट्ट निवासी पाडल्या रोड, नागदा अल्प बचत अभिकर्ता के रूप में डाकघर नागदा में वर्ष 2010 से कार्यरत हैं । ग्राहकों की सेवा पर मिलने वाले एजेंटों के कमीशन से डाक विभाग द्धारा 10 प्रतिशत टीडीएस काटने का प्रावधान है। डाक विभाग प्रतिवर्ष बचत अभिकर्ताओं के कमीशन से काटी गई टीडीएस राशि के विवरण की प्रति वर्ष में एक बार उपलब्ध भी कराता है।


इस विवरण में 1 अप्रैल से 31 मार्च के बीच काटे गए टीडीएस का लेखा होता है। इस विवरण फार्म 16 ए के आधार पर काटी गई टीडीएस राशि अभिकर्ता पुन: आयकर विभाग से प्राप्त करते हैं। लेकिन डाक विभाग ने प्रेमलता को फरवरी 2010 से मार्च 2015 तक का बिजनेस रिकॉर्ड का फार्म 16 ए प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं कराया गया। वादपत्र के मुताबिक उक्त फार्म को प्राप्त करने के लिए प्रेमलता के ससुर केसी भट्ट ने कई बार कार्यवाई भी की लेकिन कोई परिणाम सामने नहीं आया। केसी भट्ट ने विभाग की लचर कार्यप्रणाली की शिकायतें भी समय-समय पर की, जिससे नाराज होकर विभाग के अधिकारियों ने उक्त फार्म उपलब्ध नहीं कराया।


प्रकरण में डाकपाल उज्जैन लक्ष्मीनारायण चौहान स्वयं अदालत में बयान देने आए और बताया कि प्रेमलता को 16 फार्म ए उपलब्ध कराए गए है। लेकिन अदालत के समक्ष वे यह बात प्रमाणित नहीं कर पाए कि प्रेमलता को उक्त फार्म उपलब्ध कराया गया। प्रथम श्रेणी न्यायाधीश अश्विन परमार ने आदेश दिया कि अब शीघ्र फार्म प्रेमलता को उपलब्ध कराए जाए। न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि फरवरी 2010 से मार्च 2015 तक के बिजनेस कार्ड को प्रेमलता की बिना अनुमति के स्वयं अथवा किसी प्रतिनिधि के माध्यम से हेरफेर अथवा नष्ट भी नहीं किया जाए। न्यायालय में पीडि़त पक्ष प्रेमलता की ओर से अभिभाषक आशीष सनोलिया ने पैरवी की।