एंग्लो-इंडियन के साथ हुए अन्याय के विरोध में "एंग्लो इंडियन" समुदाय जंतर मंतर दिल्ली पर 5 मार्च को शाम 4 बजे इकट्ठा होंगे |
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एंग्लो इंडियन समाज और अल्पसंख्यको में भय क्यों ?
अभी अभी सरकार ने 126th संविधान शंशोधन बिल को लोकसभा और राज्य GBसभा मे पारित किया है जिसमे एस सी और एस टी को आरक्षण देने का प्रावधान को अगले 10 साल के लिए बढ़ाया गया है, लेकिन इसके साथ एंग्लो इंडियन समाज को भी मनोनीत करने का प्रावधान था जो सरकार ने अभी आगे नही बढाया है, शायद समाप्त ही कर दिया है।
भारतीय जनता पार्टी की सरकार जो "पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के बताए हुए रास्ते पर चलने की बात करती है", और अन्तिम पंकति पर बैठे व्यक्ति को मुख्य धारा में जोड़ने की विचारधारा की बात करते है, चिन्तन करते है। आज एक छोटा सा समाज जो कि एंग्लो इंडियन अल्पसंख्यक समाज है, ये समाज अपने संख्या बल पर कोई भी चुनाव नही जीत सकता, इनका अपना कोई राज्य नही है,ये पूरे देश मे बिखरे हुए है, भारत मे कुल करीब 3.5 लाख संख्या है, इस सरकार ने इस समाज का प्रतिनिधि को विधानसभा और लोकसभा से समाप्त करने का फैसला लिया है, इस समाज की आवाज को खत्म करके, क्या इसी तरह से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का सपना पूरा किया जायेगा।
एक तरफ सरकार "सब का साथ सब का विकास और सब का विशवास" की बात करता है, C A A बिल की बात करते है, पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान में धार्मिक कारणों से प्रताड़ित हिन्दू, जैन, बौध, सीख, ईसाई, को भारत मे नागरिकता देने की बात करते है, जिसका हम सब ने स्वागत किया है, किन्तु यहां बसे हुए अपने ही देश के लोगो के साथ ये क्या हो रहा है, इन्हें तो संविधान ने ये अधिकार दिया है, आज इन वंचित अल्पसंख्यक एंग्लो इंडियन समाज के साथ क्या कर रहे है, संविधान में दिए गए आरक्षण को इसलिए समाप्त कर रहे है क्यों कि वो संख्या बल में कम है,
BE THERE! 5TH MARCH, 4 PM, AT JANTAR MANTAR IN DELHI - ANGLO-INDIANS AND WELLWISHERS UNITE!
Dear Members of the Delhi and FNG branches,
You and your friends, even those belonging to other communities, are earnestly requested to assemble for an hour tomorrow (5th March) from 4 pm at Jantar Mantar in Delhi.
The 13 Anglo-Indian organisations that have united for this cause and the greater good of the community invite you to be present as we highlight the injustice done to Anglo-Indians by the denial of our representation in Parliament and State Legislative Assemblies.
The gathering will be addressed by Mr Derek O’Brien, Member of Parliament, and other MPs cutting across party lines.
Do spread the word and do your best to make it.
Thank you.
Warm regards,
Barry O’Brien
President-in-Chief
The All-India Anglo-Indian Association
क्या डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने ऐसी भारत की रचना की थी? वे जानते थे कि एंग्लो इंडियन एक स्पेशल समाज है और ये समाज के साथ किसी तरह का भेद-भाव नही होना चाहिए क्योंकि इस समाज का एक भी प्रतिनिधि चुनाव नही जीत सकता, इसलिए संविधान में एंग्लो इंडियन समाज के प्रतिनिधी को मनोनीत करने का प्रावधान है, और वो भी अगर एंग्लो इंडियन समाज का कोई भी सदस्य चुनाव जीत कर नही आया हो, तो ही मनोनीत करने का प्रावधान है। संविधान को लिखने वाले निर्माताओं ने संविधान में ये प्रावधान सोच समझ कर लिखा था।
आज श्री रविशंकर प्रसाद कानून मंत्री ने लोकसभा और राज्य सभा में कहा कि 2011 के जनसंख्या के मुताबिक भारत मे केवल 296 एंग्लो इंडियन है, जो की सत्य नही है,और बाकी सभी पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों ने भी आपत्ति जताया है, एंग्लो इंडियन समाज एक "कम्युनिटी" है जिस तरह, रोमन कैथोलिक, गोइंन, प्रोटेस्टेंट, मेंग्लोरियन, और ईस्ट इंडियन सभी ईसाई को अपना धर्म मानते है। सेंसिस/जनसंख्या में एंग्लो इंडियन को गिनने का अलग सा कोई प्रावधान नही है, इसलिए कुछ लोग ने गलती से अपने धर्म की जगह में एंग्लो इंडियन लिख दिया होगा जो गलत है,
क्यों कि एंग्लो इंडियन एक धर्म नही एक कम्युनिटी (समाज)है। और संविधान में भी इसका उल्लेख है की एंग्लो इंडियन कौन है। संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नही है की सरकार को सेंसिस के मुताबिक संख्या बल के अनुसार एंग्लो इंडियन को विधानसभा और लोकसभा में मनोनीत करना है। ये तो एक नई बात है, सरकार अगर एंग्लो इंडियन समाज को प्रतिनिधित्व नही देना चाहते है और मनोनीत नही करना चाहते है तो कोई बात नही, परन्तु वे अपना रुख साफ करे, न कि इस प्रकार के अनैतिक कारणों से संविधानिक आरक्षण को समाप्त करके इन अल्पसंख्यक समाज को अपना प्रतिनिधित्व से वंचित करके किस का सपना पूरा कर रहे है। आज पूरे देश मे एक डर और भय का वातावरण बना हुआ है, लोग धरना पर बैठ रहे है,
इसका जिम्मेदार कौन है, क्योंकि उन्हें भय है कि कल उनके साथ भी इस प्रकार का खेल खेला जाएगा। ईसी प्रकार से उनका भी संवैधानिक अधिकार का अंत हो सकता है। अगर इस सरकार को अल्पसंख्यक के लिए दिल मे जरा सी भी जगह है, तो इस प्रकार की राजनीति से लोगो का भरोसा नही जीत सकते। सरकार को एंग्लो इंडियन समाज का संवैधानिक अधिकार नही छीनना चाहिए और इस प्रावधान को आगे 10 वर्ष के लिए बड़ा देना चाहिए और जल्द से जल्द इस समाज के प्रतिनिधि को मनोनीत करना चाहिए, जैसे उन्होंने एस टी, एस सी समाज के लिए 10 साल तक आरक्षण को बढ़ाया है। तभी पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का सपना पूरा होगा और "सब का साथ सब का विकास और सबका विशवास" का नारा भी पूरा होगा। तब जाके इस देश के आल्पसंखको को इस सरकार पर विश्वास होगा।