ग्रेसिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड ( स्टेपल फाइबर डिवीजन) के विरूद्ध 302 करोड़ रुपए का जुर्माना
ग्रेसिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड ( स्टेपल फाइबर डिवीजन) के विरूद्ध 302 करोड़ रुपए का जुर्माना

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ब्यूरो चीफ नागदा, जिला उज्जैन // विष्णु शर्मा 8305895567


नागदा. नागदा स्थित ग्रेसिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड ( स्टेपल फाइबर डिवीजन) के विरूद्ध 302 करोड़ रुपए का जुर्माना भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग, नई दिल्ली द्वारा लगाया गया है।  जिसमें प्रतिस्पर्धा आयोग ने दिनांक 16/03/2020 को आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा विस्कोस स्टेपल फाइबर (वीएसएफ) की आपूर्ति के लिए बाजार में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने के मामले में 302 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है ।


जिसमें आदित्य बिरला समूह की 3 यूनिट ग्रेसिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इंडो भारत रेयान एवं  थाई रेयान शामिल हैं । यह प्रकरण वर्ष 2016 में उद्योग के विरूद्ध आयोग में दर्ज हुआ था। पर्यावरण कार्यकर्ता अभिषेक चौरसिया ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि नागदा में ग्रेसिम यूनिट के विरूद्ध कई गंभीर मामले वर्तमान ने विचाराधीन हैं जिसमें नागदा में गंभीर जल, वायु एवं भूमि प्रदूषण, ग्राम पंचायत जलवाल में शासकीय भूमि पर अतिक्रमण का मामला, सीएसआर फंड में 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला एवं सुप्रीम कोर्ट में लगभग 400 करोड़ों रुपए मूल्य की भारत कामर्स उद्योग की शासकीय भूमि के संबंध में मामले विचाराधीन हैं ।


ऐसी स्थित में ये कार्यवाही उद्योग द्वारा कि जा रही गंभीर अनियमितताओं को प्रमाणित करने का काम करती हैं। उक्त जुर्माने के 60 पृष्ठ की निर्णय की विस्तृत प्रतिलिपि अभिषेक चौरसिया के पास उपलब्ध हैं जिसमें इनके खिलाफ़ कई गंभीर तथ्य सिद्ध पाए गए हैं । अभिषेक चौरसिया ने बताया जानकारी मिडिया के माध्यम से सार्वजनिक इसीलिए की गई है ताकि नागदा में ग्रेसिम उद्योग द्वारा विगत कई वर्षों में की गई गंभीर धांधलियों की जानकारी शहर के आम नागरिकों के समक्ष उपलब्ध हो सकें । क्योंकि यह एक भी अत्यंत गंभीर मामला है।


क्या हैं भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग -


भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग भारत की एक विनियामक संस्था है। जिसका उद्देश्य स्वच्छ प्रतिस्पर्धा को बढावा देना है ताकि बाजार को उपभोक्ताओं के हित का साधन बनाया जा सके। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की स्थापना प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत अधिनियम के प्रशासन, कार्यान्वयन और प्रवर्तन के लिए की गई थी और यह मार्च, 2009 में विधिवत गठित हुआ।


आयोग के निम्नलिखित प्रमुख कार्य हैं -



  • 1. प्रतिस्पर्धा पर विपरित प्रभाव डालने वाले व्यवहारों को रोकना।

  • 2. बाजारों में प्रतिस्पर्धा का संवर्धन और उसे बनाए रखना।

  • 3. उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा करना।

  • 4. व्यापार की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना।


उक्त फैसला आयोग के अध्यक्ष अशोक कुमार गुप्ता एवम् सदस्यगण संगीता वर्मा एवं भगवंत सिंह बिश्नोई द्वारा आदित्य बिरला समूह के विरूद्ध दिया गया है ।