सुप्रीम कोर्ट का आदेश, कमलनाथ सरकार 20 मार्च की शाम 5 बजे तक बहुमत साबित करें
सुप्रीम कोर्ट का आदेश, कमलनाथ सरकार 20 मार्च की शाम 5 बजे तक बहुमत साबित करें

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मध्य प्रदेश की राजनीति में घमासान जारी है और कमलनाथ सरकार का जल्द से जल्द बहुमत परीक्षण कराने के लिए सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।


आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आखिरी  सुनवाई करते हुए अपना अहम फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रदेश की कमलनाथ सरकार को कल यानी 20 मार्च की शाम 5 बजे तक बहुमत साबित करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने शाम 5 बजे तक पूरी प्रक्रिया खत्म करने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही अदालत ने बहुमत परीक्षण की वीडियोग्राफी भी करवाए जाने का भी आदेश जारी किया ताकि पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष रहे।


सुप्रीम कोर्ट में कमलनाथ सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पैरवी कर रहे थे। सिंघवी ने अपनी दलीलें सुप्रीम कोर्ट में रखते हुए कहा कि फ्लोर टेस्ट करवाना है या नहीं, यह स्पीकर के विवेक पर निर्भर करता है। इसके साथ ही उन्होंने दलील दी कि विधायकों की गैरमौजूदगी से सदन में संख्याबल कम रह जाएगा।




इस मामले में सुनवाई कर रहे जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि ऐसे में क्या किया जाए, क्या स्पीकर को विधायकों के इस्तीफे पर फैसला नहीं लेना चाहिए। जस्टिस के इस सवाल के जवाब में अभिषेक मनु सिंघवी ने सुझाव दिया कि स्पीकर को इस पर फैसला लेकिन के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि बागी विधायक अपनी इच्छा से काम कर रहे हैं या नहीं इस पर पर्यवेक्षक नियुक्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि स्वतंत्र पर्यवेक्षक की नियुक्ति की जाती है तो बागी विधायकों के किसी डर से कैद में रहने की बात की सच्चाई भी सामने आ जाएगी। इस पर विधायकों के वकील मनिंदर सिंह भी सहमति जताई।




बुधवार की सुनवाई में क्या हुआ?


कल यानी दूसरे दिन की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर से पूछा था कि वह कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने में इतनी देर क्यों लगा रहे हैं? और इस पर वे कब तक फैसला लेंगे? इस पर सिंघवी ने कहा, कि संबंध में गुरुवार को बता पाएंगे। बता दें कि कल की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में 4 घंटे तक बहस चली। इसके बाद गुरुवार सुबह 10:30 बजे तक के लिए सुनवाई को टाल दिया गया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने स्पीकर से पूछा था कि, आपने 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार क्यों नहीं किए? अगर आप संतुष्ट नहीं थे तो नामंजूर कर सकते थे। इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने 16 मार्च को स्थगित किए विधानसभा के बजट सत्र हैरानी जताई और सवाल किया कि, बजट पास नहीं होगा तो राज्य का कामकाज कैसे होगा? इसके अलावा पीठ ने कहा, कि हम ये तय नहीं कर सकते कि सदन में किसे बहुमत है। यह काम विधायिका का है। सांविधानिक अदालत के तौर पर हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना है।