मछलियों को भी नशा कराया जाता है यहां ऐसा नशा की मछली मदमस्त हो जाती, क्या है मजरा देखेँ विडीयो



मछलियों को भी नशा कराया जाता है यहां ऐसा नशा की मछली मदमस्त हो जाती, क्या है मजरा देखेँ विडीयो




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ब्यूरो चीफ बालाघाट // वीरेंद्र श्रीवास 83196 08778




बालाघाट। अभी तक आपने सुना होगा कि इंसान ही नशे में धुत होकर अपने आप मे मदमस्त रहते है लेकिन यह कभी नही सुना होगा कि मछलियों को भी नशा कराया जाता है ऐसा नशा की मछली मदमस्त हो जाती है।




लोगो का भोजन बन जाती है। नशा कराकर मछलियों को पकड़ने का यह नायाब तरीका बालाघाट के आदिवासी बैगा इलाके में काफी प्रचलित है। मछलियों के नशे का इंतजाम करने इन बैगा आदिवासियों को काफी जद्दोजहद भी करनी पड़ती है।




बता दे कि लॉक डाउन के चलते और भीषण गर्मी में जहाँ आदिवासी बैगा परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है तो वह लोग अपना पेट भरने के लिए पुराने तरीके से मछलियां पकड़ कर अपना पेट भर रहे है। ये आदिवासी जंगल मे मिलने वाले टोन्ध्री नामक फल "जिसमे नशा होता है" को बहुत अच्छे से पेड़ो के नीचे गड्डा बनाकर कूट कर उसे नदी-नालो के गड्ढो में डालते है.



जिससे मछलियां नशे में बेहोश हो जाती है और ये लोग उन्हें आसानी से पकड़ लेते है। ऐसा ही नजारा पाथरी के आमा टोला में सामने आया है जहाँ कुछ आदिवासी बैगा परिवार एक नाले में मछलियों को पकड़ते नजर आ रहा है। इस तरीके से पिछले कई सालों से बैगा परिवार मछलियां पकड़ते आ रहा है।



 



प्रकृति के बेहद करीब रहने वाली बैगा जनजाति का आज भी रहन सहन प्राचीन तरीको पर आधारित है उसी प्राचीन परंपरा के तहत नशा कराकर मछलियों को भोजन बनाने का भी इनका अपना ही तरीका है